Anahoot (अनाहूत)

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KUNWER VIRENDRA VIKRAM SINGH GAUTAM (कुंवर वीरेन्द्र विक्रम सिंह गौतम)
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अपनी कृतियों के प्रति रचनाकार के हृदय में स्नेह स्वाभाविक है। इसके बावजूद गत 50 वर्षों में जो कुछ भी लिख सका, उसे करीने से सम्हाल नहीं सका। परिणाम स्वरूप अनेक रचनाएं काल के प्रवाह के साथ बह कर विस्मृति के सागर में समा गईं। हास्य-व्यंग्य की रचनाओं की एक डायरी किसी मित्रा की विशेष अनुकम्पा की भेंट चढ़ गई। इसका कारण समयाभाव अथवा कार्यक्षेत्रा की विषमताओं से अधिक मेरा आलस्य ही रहा जो हमेशा एक हिमालय बन कर मुझे रोकता रहा।

मेरी ऐसी प्रकृति से परिचित मित्रों और स्वजनों के दबाव का परिणाम बन कर 1992 में सामने आया - ’’ख़त आषाढ़ के‘‘, जो मेरी कुछ कविताओं और ग़ज़लों का एक ऐसा संकलन था जिससे उन्हें किंचित सन्तोष मिला होगा, परन्तु मैं असन्तुष्ट रहा।

विषयानुकूल और विधानुकूल रचनाओं की अलग-अलग सम्पूर्ण प्रस्तुति का विचार इस असन्तोष का कारण बना और अनाहूत, बबूलोें के तले और कुएंॅ में भंॅाग क्रमशः सम्पूर्ण कविता संग्रह, ग़ज़ल संग्रह और हास्य-व्यंग्य रचनाओं के संकलन के रूप में 1999 में तैयार हुए। सम्पूर्णता का विचार करके ही अनाहूत में उन कविताओं को भी शामिल किया था जो ख़त आषाढ़ के में प्रकाशित हो चुकी थीं। 1992 में प्रकाशित ख़त आषाढ़ के और 1999 में मुद्रित अनाहूत की प्रतियों की अनुपलब्धता इस इलैक्ट्रानिक संस्करण की प्रस्तुति का मुख्य कारण है।

मुख्य रूप से अगली पीढ़ी को समर्पित-

খন্ড:
1
সাল:
2020
সংস্করণ:
E-BOOK
প্রকাশক:
SELF PUBLISHED
ভাষা:
hindi
পৃষ্ঠা:
138
বইয়ের সিরিজ:
KAVITAYE (POETRY IN HINDI)
ফাইল:
PDF, 618 KB
IPFS:
CID , CID Blake2b
hindi, 2020
অনলাইনে পড়া
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